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2 months ago
Panchatantra Stories In Hindi, पंचतंत्र की कहानियाँ हिंदी में, शिक्षाप्रद कहानियां, नई कहानियां PDF Free Download
यह कहानी एक ब्राह्मण की है जो लोगों के घर जाता और पूजा पाठ करता। एक दिन उसे दक्षिणा में ढ़ेर सारा सत्तू मिला। वह उस सत्तू को पाकर बहुत ही खुश हो गया था। घर जाकर उसने आधा सत्तू खा लिया और बचे हुए सत्तू को एक मटके में रखकर टांग दिया। मटके को ऊपर लटकाने के बाद वह आराम से नीचे रखे हुए खटिए पर सो गया। जैसे ही उसकी आंख लगी तो वह तरह-तरह के ख्वाब देखने लगा।
उसने अपने ख्वाब में देखा कि वह बचे हुए सत्तू को संभाल कर रखेगा और जैसे ही अकाल पड़ेगा तो सत्तू का दाम बढ़ जाएगा। फिर वह उन सत्तू को बेच देगा। सत्तू को बचने के बाद उसे ढ़ेर सारे पैसे मिलेंगे उससे वह एक बकरी खरीदेगा। फिर उस बकरी को बड़ा करके उसे बेच देगा। उसे बेचने के बाद मिले हुए पैसों से वह एक गाय खरीदेगा। वह गाय का अच्छे से ध्यान रखेगा और उसके दूध को बेचकर और पैसे कमाएगा। कमाए हुए पैसों से भैंस और घोड़े खरीदेगा। घोड़ों को बेचकर वह ढेर सारे पैसे कमाएगा और उन पैसों से सोने खरीदेगा।
फिर जैसे हि सोने का दाम बढ़ेगा उसे बेचकर ढेर सारा पैसा कमाएगा। उन पैसों से वह ढेरों संपत्ति खरीदेगा और बड़ा सा घर बनवाएगा। इसके बाद वह सुंदर सी लड़की से शादी कर लेगा। शादी कर लेने के बाद वह बच्चा पैदा करेगा और उसे दूर से बैठकर खेलता हुआ देखेगा। जब उसका बच्चा रोएगा तो वह अपनी पत्नी को जोर से चिल्लाएगा और बोलेगा कि वह बच्चे का ध्यान ठीक से नहीं रख सकती क्या?
यह सब ख्वाब में देखकर वह बहुत खुश हो रहा था। उसने यह भी देखा कि जब उसकी पत्नी काम कर रही होगी और तब वह अपने पति का कहना नहीं मानेगी तो वह उठकर उसे लात मारेगा। जब वह सपना देख रहा था तभी लेटे-लेटे उसने अपना पैर ऊपर की ओर दे मारा। उसका पैर सीधा मटके पर लगा। इसकी वजह से वह मटका नीचे गिरकर टूट गया और पूरा सत्तू बर्बाद हो गया। ब्राह्मण की नींद खुली तो उसने देखा कि उसका पूरा सपना बर्बाद हो गया।
यह कहानी एक जंगल की है जहां तीन बैल एक साथ रहा करते थे। तीनों में अच्छी मित्रता थी और वे एक साथ रहा करते थे। वे एक साथ खुश थे। तीनों बैल एक साथ जंगल में घास चरने जाया करते थे और इसकी वजह से वे सुरक्षित भी थे। जंगल में एक शेर भी था जो बहुत ही खूंखार था। जंगल का शेर हमेशा तीन बैलों पर नजर रखता था और वह उन्हें खाना चाहता था।
उसने कई बार उन तीनों पर हमला भी किया लेकिन वह असफल रहा क्योंकि जब कभी भी वह हमला करता था तो तीनों बैल त्रिकोण बनाकर अपना बचाव करते थे और शेर को मार कर भगा देते थे। इसी वजह से शेर उनका शिकार नहीं कर पा रहा था। दिन भर वह शेर यह सोचता रहता था कि वह किस तरह से उनका शिकार करेगा। बहुत दिनों तक विचार करने के बाद शेर को समझ में आ गया था कि उसे तीनों की मित्रता को तोड़ना होगा और उन्हें अलग करना होगा।
इसके लिए उसने एक चाल चली। शेर जंगल में अफ़वाह फैला दिया कि उन तीन बैलों में से एक बैल अपने दोस्तों को धोखा दे रहा है। जैसे ही यह बात उन बैलों को पता चली तो तीनों की दोस्ती में दरार आने लगा। वह सब एक दूसरे पर शक करने लगे थे। ऐसे में तीनों की मित्रता टूट गई और फिर वे अलग रहने लगे। इसकी वजह से उन्हें अकेले ही जंगल में जाना पड़ता। शेर जो चाहता था वह पूरा हो चुका था।
अब वह एक-एक करके तीनों का शिकार कर सकता था। एक दिन उसने देखा कि तीनों में से एक बैल जंगल में घास चरने आया था। उसने मौके का फायदा उठाकर उस बैल पर हमला कर दिया और उसे मारकर खा गया। कुछ दिनों बाद उसने दूसरे बैल को भी मार दिया और उसे खा गया। अपने दोनों दोस्तों की मौत की खबर सुनकर तीसरा बैल भी समझ चुका था कि शेर उसे भी मार कर खा जाएगा और वैसा ही हुआ। कुछ दिनों के बाद शेर ने उस तीसरे बैल को भी मार डाला और उसे खा गया।
एक बड़े से घर में ढेर सारे चूहे रहा करते थे। उस घर में लगभग 100 से भी ज्यादा चूहे थे। वे उस घर में बड़े मौज से रहते। वहां उन्हें खाने पीने के लिए पर्याप्त भोजन भी मिल जाता था। रोज उनका पेट अच्छे से भरता था। चूहों का जीवन वहां बहुत अच्छे से चल रहा था। लेकिन यह सब कुछ बदलने वाला था। एक दिन अचानक उस घर में बड़ी सी बिल्ली घुस आई। जैसे ही वह बिल्ली उस घर के अंदर घुसी तो उस बिल्ली को देखकर सारे के सारे चूहे अपने बील के अंदर घुस गए।
सब अपने बील में जाकर छुप गए। बिल्ली ने एक साथ इतने सारे चूहे कभी नहीं देखे थे। इतने सारे चूहों को देखकर बिल्ली के मुंह में पानी आ गया और वह सोचने लगी कि वह इन चूहों को खाएगी। जैसे ही रात का समय होता तो वह बिल्ली अंधेरे में छुप जाती और चूहों के बाहर आने का इंतजार करती। रात होते ही वे चूहे खाने की तलाश में बाहर निकलते थे और एक-एक करके बिल्ली उनका शिकार कर लेती। बिल्ली का आतंक दिन भर दिन बढ़ता ही जा रहा था।
उन चूहों को समझ नहीं आ रहा था कि वह बिल्ली से कैसे बचेंगे? क्योंकि बिल्ली बहुत चालाक थी। ऐसे में चूहों ने एक सभा बुलाया। उस सभा में घर के सारे चूहे मौजूद थे। सब इस बात की चर्चा कर रहे थे कि बिल्ली से कैसे बचा जाए। लोगों ने एक के बाद एक ढेरों सुझाव दिए लेकिन किसी का भी सुझाव सटीक नहीं था। तभी उनमें से एक बूढ़ा चूहा सामने आकर बोला कि उन सबको बिल्ली के गले में एक घंटी बांध देनी चाहिए जिससे कि वे उस बिल्ली से बच सके।
जैसे ही बिल्ली कहीं जाएगी या आएगी तो घंटी की आवाज से उन सब को पता चल जाएगा की बिल्ली कहां है? यह सुझाव लोगों को बेहद पसंद आया और इसे सुनकर वे सारे चूहे मजे से नाचने लगे। सभी मजे से नाच रहे थे कि तभी एक समझदार चूहा जोर से चिल्ला कर उन्हें शांत कराया और उन सब से बोला कि अभी भी खतरा टला नहीं है। ऐसा करने के लिए उन सबको सबसे पहले उस बिल्ली के गले में घंटी बांधनी होगी।
यह काम करना बहुत ही कठिन होगा। यह सुनकर सारे चूहे फिर से निराश होकर सोचने लगी कि उस बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा? जब वे सब यह बात कर रहे थे तभी बिल्ली के आने की आहट सुनाई दी और सारें चूहे वहां से भाग गए और अपने अपने बिल में जाकर छुप गए। लेकिन कोई भी उस बिल्ली के गले में घंटी नहीं बांध सका और वह बिल्ली उन चूहों का शिकार करती रही।
एक बड़े से जंगल में बड़ा सा हाथी रहता था। उस हाथी को अपने शरीर और ताकत पर बड़ा ही घमंड था। वह जंगल के जानवरों को बेवजह परेशान करता और उन्हें तंग करता। जंगल के सारे जानवर उस हाथी से बहुत ही ज्यादा परेशान थे। लेकिन वह कुछ भी नहीं कर सकते थे क्योंकि हाथी बहुत ही बड़ा और ताकतवर था। अचानक एक दिन वह हाथी जंगल की सैर पर निकला तो उसे रास्ते में एक खरगोश दिखा।
वह अपने घर से निकलकर गाजर खा रहा था। उस कछुए को देखकर हाथी ने उससे कहा कि तुम जो खा रहे हो वह मुझे दे दो। ऐसे में उस खरगोश ने हाथी को अपना खाना देने से मना कर दिया। गुस्से में आकर हाथी ने खरगोश के घर को तोड़ दिया और आगे बढ़ चला। बेचारा खरगोश अब परेशान हो गया। आगे जाकर हाथी को पेड़ पर एक तोता मिला। हाथी ने तोते से कहा कि वह उसके सामने झुके और हाथी को सलाम करें। तोते ने ऐसा करने से मना कर दिया। हाथी उस तोते को सबक सिखाने के लिए पूरे पेड़ को ही उखाड़ दिया। वह तोता वहां से उड़ चला।
तोते को वहां से जाता देख हाथी हंसने लगा। ऐसा करने के बाद हाथी और आगे जा पहुंचा और उसे एक तालाब मिला जहां वह पानी पीने लगा। पास में उसे एक चींटी दिखा। उसने चींटी से पूछा कि तुम क्या कर रहे हो? तब चींटी ने जवाब दिया कि वह बारिश आने से पहले खाना इकट्ठा कर रहा है ताकि उसे बारिश में कोई परेशानी ना हो। ऐसे में हाथी ने अपने सूंड में पानी भरा और उसे चींटी के ऊपर फेंक दिया। चींटी का पूरा खाना बर्बाद हो गया। यह सब देखकर चींटी को बहुत गुस्सा आया और उसने हाथी से बदला लेने का सोचा।
कुछ दिनों बाद चींटी ने देखा कि हाथी अपना खाना खाकर सो रहा था। मौका देखकर चींटी हाथी की सूंड में घुस गया और सूंड के अंदर जोर से काटने लगा। हाथी को बहुत ही ज्यादा दर्द और जलन होने लगा। जिसके चलते हाथी जोर-जोर से रोने लगा। हाथी के रोने की आवाज सुनकर चीटी सूंड से बाहर निकल आया। चींटी को देखकर हाथी डर गया। अब हाथी को समझ में आ चुका था कि उसे किसी को भी परेशान नहीं करना चाहिए। हाथी ने चींटी से माफी मांगा और उससे बोला कि वह अब से किसी को भी परेशान नहीं करेगा।
बड़े से जंगल के बीच में एक छोटा सा तालाब था। उस तालाब में ढेरों जानवर रहते थे और बहुत से जानवर वहां पानी पीने आते थे। उस तालाब में एक कछुआ भी था जो बेवजह बातें किया करता था। वह कछुआ बहुत बातें करता था और बिना मतलब के कुछ भी बोलता था। उसके इस आदत से सारे लोग उससे परेशान रहते थे। उस कछुए के दो अच्छे दोस्त भी थे जो उसका बहुत ख्याल रखते थे और उसके बारे में सोचते थे। वे दोनों दोस्त हंस थे। दोनों हंस और कछुआ तीनों बहुत अच्छे दोस्त थे। कुछ दिनों बाद गर्मी आ गई गर्मी की वजह से तालाब का पानी सूखने लगा।
इसकी वजह से तालाब के सारे जानवर चिंतित हो गए। ऐसे में दोनों हंसो को अपने दोस्त कछुए की चिंता सताने लगी। वे दोनों हंस कछुए के पास गए और उसे बोले की उसे यह तालाब छोड़कर किसी अन्य तालाब में जाना चाहिए ताकि वहां जाकर कछुआ बड़े आराम से रह सके। यह सुनकर कछुए ने उनसे कहा कि वह कोई अन्य तलाब के बारे में नहीं जानता तो वह कैसे दूसरे तालाब में जा सकता है? दोनो हंसो ने उससे कहा कि पास में एक बड़ा सा तालाब है जहां का पानी नहीं सूखता वह उसे वहां लेकर जा सकते हैं।
हंसों की यह बातें सुनकर कछुआ राजी हो गया और वह उस तालाब में जाने के लिए तैयार हो गया। कछुए को नए तालाब में ले जाने के लिए हंसो ने एक तरकीब खोज निकाली। वे एक लकड़ी लेकर आएंगे और उस लकड़ी के दोनों कोने को एक-एक हंस पकड़ेंगे। बीच में कछुआ लकड़ी को अपने मुंह से दबाकर पकड़ेगा। फिर वे उड़कर कछुए को तालाब में ले जाएंगे। उड़ने से पहले हंसो ने उस कछुए से कहा कि उसे कुछ भी नहीं कहना है। अगर वह कुछ भी बोलेगा तो लकड़ी उससे छूट जाएगी और वह नीचे गिर जाएगा।
उन्होंने कछुए से यह भी कहा कि नए तालाब में पहुंचकर वह जितना चाहे उतना बात कर सकता है। दोनों हंसो ने उड़ना चालू किया और कछुआ लकड़ी को मुंह में दबाए हुए पकड़ा था। जब वे एक गांव के ऊपर से गुजर रहे थे तो नीचे गांव में मौजूद लोग ऐसा दृश्य देखकर अचंभित थे। गांव वालों ने ऐसा पहली बार देखा था की दो हंस मिलकर एक कछुए को कहीं ले जा रहे हो। ऐसे में गांव वाले मिलकर तालियां बजाने लगे। कछुआ उन सब को देखकर रुक नहीं पाया और बोला नीचे सारे लोग क्या कर रहे हैं? जैसे ही वह कछुआ यह बोला वह तुरंत ही नीचे गिरने लगा। वह इतनी ऊंचाई से गिरा था कि जमीन में गिरते ही उसकी मौत हो गई।
एक समय की बात है एक भूखा कौवा खाने की तलाश में यहां-वहां भटक रहा था तभी उसे एक सड़क पर एक रोटी मिली। उसने उस रोटी को लिया और दूर जंगल में जाकर एक पेड़ पर बैठ गई कौवा। जब वह रोटी खाने लगा उसी वक्त एक लोमड़ी उसके पास आई। लोमड़ी को भी भूख लगी थी और उसने कौवा के मुंह में रोटी देखकर यह सोचा कि उस रोटी को वह खाएगी। यह विचार कर उस लोमड़ी ने कौवा से कहा, “अरे कौवा! आज तुम तो बहुत ही अच्छे दिख रहे हो और मैंने सुना है की तुम बहुत अच्छा गाते हो।
क्या तुम मुझे गाकर सुनाओगे? मैं तुम्हारा गाना सुनने के लिए तरस रहा हूं। “ कौवा अपनी तारीफ सुनकर बहुत ही खुश हुआ और वह गाना गाने के लिए सोचने लगा। लेकिन गाना गाने से पहले उसके दिमाग में विचार आया कि अगर वह गाना गाएगा तो उसके मुंह की रोटी नीचे गिर जाएगी और फिर लोमड़ी उसे खा जाएगी। इसलिए कौवे ने रोटी को अपने पैर के नीचे दबाया और गाना गाने लगा।
कौवे के ऐसा करने पर लोमड़ी को समझ में आ गया कि उसकी तरकीब काम नहीं कर रही है तो उसने दूसरी तरकीब आज़माई। उसने कौवे से कहा, “अरे वाह कितना मधुर गाना गाती हो। मैंने सुना है कि तुम नाचते भी बहुत अच्छा हो। क्या तुम मुझे नाच कर दिखाओगे ?” अपनी इतनी ज़्यादा तारीफ़ सुनकर कौवे को और भी ज़्यादा खुसी हुई। ख़ुशी के मारे वाह यह भी भूल गया की उसके पैर के नीचे रोटी है। कौवा नाचने लगा। जैसे की कौवे ने अपने दोनों पैर उठाए रोटी नीचे गई। तुरंत ही लोमड़ी उस रोटी को अपने मुँह में दबाकर आगे चला गया।
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