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5 months ago
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कार्तिक शुक्ल मास की एकादशी तिथि को राजस्थान के सीकर अंचल में स्थित खाटू श्याम बाबा के विशाल मंदिर में हर साल खाटू श्याम बाबा के जन्मोत्सव पर मेला लगता है, जहां खाटू श्याम बाबा के करोड़ों भक्त रहते हैं. उसके साथ। व्यक्ति ऐसा करते हैं और संसार-ताल से अपने परिचय में स्नान करके जन्म-जन्मान्तर के पापों से मुक्ति पाते हैं।
खाटू बाबा की इस प्रतिभा को देखकर, आज इस लेख में मैं आप सभी को खाटू बाबा के लिए संपूर्ण प्रेम रणनीति बताऊंगा, जिसे आप अपने घर पर विशेष रूप से करके खाटू बाबा के उपहार प्राप्त कर सकते हैं। चूंकि खाटू बाबा हर जगह उपलब्ध हैं, खाटू बाबा को सच्चे दिल से बुलाना जरूरी है।
ऐसे में अगर आप भी खाटू बाबा की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको खाटू बाबा का पूरे विधि-विधान से पूजन करना होगा और खाटू बाबा के लिए अंतिम प्रेम मंत्र क्या है? यह जानने के लिए आपको इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़ना चाहिए, तो चलिए जानते हैं कि खाटू श्याम बाबा के लिए अंतिम प्रेम तकनीक क्या है।
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे || ॐ
रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे |
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े || ॐ
गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे |
खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले || ॐ
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे |
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे || ॐ
झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे |
भक्त आरती गावे, जय – जयकार करे || ॐ
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे |
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम – श्याम उचरे || ॐ
श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत भक्त – जन, मनवांछित फल पावे || ॐ
जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे |
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे || ॐ
|| श्री खाटू श्याम चालीसा ||
|| दोहा ||
श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द।
श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चैपाई छन्द ||
|| चौपाई ||
श्याम श्याम भजि बारम्बारा,
सहज ही हो भवसागर पारा।
इन सम देव न दूजा कोई,
दीन दयालु न दाता होई।
भीमसुपुत्र अहिलवती जाया,
कहीं भीम का पौत्र कहाया।
यह सब कथा सही कल्पान्तर,
तनिक न मानों इनमें अन्तर।
बर्बरीक विष्णु अवतारा,
भक्तन हेतु मनुज तनु धारा।
वसुदेव देवकी प्यारे,
यशुमति मैया नन्द दुलारे।
मधुसूदन गोपाल मुरारी,
बृजकिशोर गोवर्धन धारी।
सियाराम श्री हरि गोविन्दा,
दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा।
दामोदर रणछोड़ बिहारी,
नाथ द्वारिकाधीश खरारी।
नरहरि रूप प्रहलद प्यारा,
खम्भ फारि हिरनाकुश मारा।
राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता,
गोपी बल्लभ कंस हनंता।
मनमोहन चितचोर कहाये,
माखन चोरि चोरि कर खाये।
मुरलीधर यदुपति घनश्याम,
कृष्ण पतितपावन अभिराम।
मायापति लक्ष्मीपति ईसा,
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।
विश्वपति त्रिभुवन उजियारा,
दीनबन्धु भक्तन रखवारा।
प्रभु का भेद कोई न पाया,
शेष महेश थके मुनियारा।
नारद शारद ऋषि योगिन्दर,
श्याम श्याम सब रटत निरन्तर।
कवि कोविद करि सके न गिनन्ता,
नाम अपार अथाह अनन्ता।
हर सृष्टि हर युग में भाई,
ले अवतार भक्त सुखदाई।
हृदय माँहि करि देखु विचारा,
श्याम भजे तो हो निस्तारा।
कीर पड़ावत गणिका तारी,
भीलनी की भक्ति बलिहारी।
सती अहिल्या गौतम नारी,
भई श्राप वश शिला दुखारी।
श्याम चरण रच नित लाई,
पहुँची पतिलोक में जाई।
अजामिल अरु सदन कसाई,
नाम प्रताप परम गति पाई।
जाके श्याम नाम अधारा,
सुख लहहि दुख दूर हो सारा।
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर,
मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर।
गल वैजयन्तिमाल सुहाई,
छवि अनूप भक्तन मन भाई।
श्याम श्याम सुमिरहुं दिनराती,
शाम दुपहरि अरु परभाती।
श्याम सारथी सिके रथ के,
रोड़े दूर होय उस पथ के।
श्याम भक्त न कहीं पर हारा,
भीर परि तब श्याम पुकारा।
रसना श्याम नाम पी ले,
जी ले श्याम नाम के हाले।
संसारी सुख भोग मिलेगा,
अन्त श्याम सुख योग मिलेगा।
श्याम प्रभु हैं तन के काले,
मन के गोरे भोले भाले।
श्याम संत भक्तन हितकारी,
रोग दोष अघ नाशै भारी।
प्रेम सहित जे नाम पुकारा,
भक्त लगत श्याम को प्यारा।
खाटू में है मथुरा वासी,
पार ब्रह्म पूरण अविनासी।
सुधा तान भरि मुरली बजाई,
चहुं दिशि नाना जहाँ सुनि पाई।
वृद्ध बाल जेते नारी नर,
मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर।
दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई,
खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई।
जिसने श्याम स्वरूप निहारा,
भव भय से पाया छुटकारा।
|| दोहा ||
श्याम सलोने साँवरे, बर्बरीक तनु धार।
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।
जय हो सुंदर श्याम हमारे,
मोर मुकुट मणिमय हो धारे।
कानन के कुण्डल मोहे,
पीत वस्त्र कहत दुद माला,
साँवरी सूरत भुजा विशाला।।
न ही दोन लोक के स्वामी,
घट घट के हो अंतरयामी।
पद्मनाभ विष्णु अवतारी,
अखिल भुवन के तुम रखवारी।।
खाटू में प्रभु आप विराजे,
दर्शन करते सकल दुःख भाजे।
इत सिंहासन आय सोहते,
ऊपर कलशा स्वर्ण मोहते।
अगद अनट अच्युत जगदा,
माधव सुर नर सुरपति ईशा।
बाजत नौबत शंख नगारे,
घंटा झालर अति इनकारे।
माखन मिश्री भोग लगावे,
नित्य पुजारी चंवर लावे।
जय जय कार होत सब भारी,
दुःख बिसरत सारे नर नारी।
जो कोई तुमको मन से ध्याता,
मन वांछित फल वो नर पाता।
जन मन गण अधिनायक तुम हो,
मधुमय अमृत वाणी तुम हो।
विद्या के भण्डार तुम्ही हो,
सब ग्रंथन के सार तुम्ही हो।
आदि और अनादि तुम हो,
कविजन की कविता में तुम हो।
नील गगन की ज्योति तुम हो,
सूरज चाँद सितारे तुम हो।
तुम हो एक अरु नाम अपारा,
कण कण में तुमरा विस्तारा।।
भक्तों के भगवान तुम्हीं हो,
निर्बल के बलवान तुम्ही हो।
तुम हो श्याम दया के सागर,
तुम हो अनंत गुणों के सागर।।
मन दृढ़ राखि तुम्हें जो ध्यावे,
सकल पदारथ वो नर पावे।।
तुम हो प्रिय भक्तों के प्यारे,
दीन दुःखी जन के रखवारे।
पुत्रहीन जो तुम्हें मनावे,
निश्चय ही वो नर सुत पावे।
जय जय जय श्री श्याम बिहारी,
मैं जाऊँ तुम पर बलिहारी।
जनम मरण सों मुक्ति दीजे,
चरण शरण मुझको रख लीजे।।
प्रातः उठ जो तुम्हें मनावें,
चार पदारथ वो नर पावें।
तुमने अधम अनेकों तारे,
मेरे तो प्रभु तुम्ही सहारे।
मैं हूँ चाकर श्याम तुम्हारा,
दे दो मुझको तनिक सहारा।
कोढ़ी जन आवत जो द्वारे,
मिटे कोढ़ भागत दु : ख सारे।
नयनहीन तुम्हारे ढिंग आवे,
पल में ज्योति मिले सुख पावे।
मैं मूरख अति ही खल कामी,
तुम जानत सब अंतरयामी।
एक बार प्रभु दरसन दीजे,
यही कामना पूरण कीजे।
जब जब जनम प्रभु मैं पाऊँ,
तब चरणों की भक्ति पाऊँ।।
सेवक तुम स्वामी मेरे,
तुम हो पिता पुत्र हम तेरे।
मुझको पावन भक्ति दीजे,
क्षमा भूल सब मेरी कीजे।
पढ़े श्याम चालीसा जोई,
अंतर में सुख पावे सोई।।
सात पाठ जो इसका करता,
अन्न धन से भंडार है भरता।
जो चालीसा नित्य सुनावे,
भूत पिशाच निकट नहिं आवे।।
सहस्र बार जो इसको गावहि,
निश्चय वो नर मुक्ति पावहि।।
किसी रूप में तुमको ध्यावे,
मन चीते फल वो नर पावे।।
‘नन्द ‘ बसो हिरदय प्रभु मेरे,
राखो लाज शरण मैं तेरे।।
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