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दुःख और दरिद्रता मानव जीवन में सामान्य सत्य हैं, लेकिन कभी-कभी इसका सामना करना अत्यंत कठिन हो सकता है। जीवन के उतार-चढ़ाव, संघर्ष और समस्याओं से गुजरते हुए, हम आध्यात्मिक सहारा लेने के लिए विशेष स्तोत्रों की तलाश में रहते हैं। इसमें से एक है ‘दुःख दरिद्र दहन स्तोत्र’ जो शोक और दरिद्रता का नाश करने का आशीर्वाद प्रदान करता है।
Dukh Daridra Dahan Stotra Lyrics
॥ दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र ॥
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥2॥
भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥3॥
चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥4॥
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥5॥
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भानुप्रियाय भवसागरतारणाय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥6॥
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥7॥
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥8॥
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्।
सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात् ॥9॥
॥ महर्षि वसिष्ठ विरचित दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र सम्पूर्ण ॥
स्तोत्र का महत्व:
दुःख दरिद्र दहन स्तोत्र का प्रचलन विशेषकर हिन्दू धर्म में है, जहां यह स्तोत्र दुखों और दरिद्रता से मुक्ति प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। इसे पढ़ने से पहले साधक को श्रद्धा और पूर्वाभ्यास के साथ इसका अध्ययन करना चाहिए ताकि उसका पूरा लाभ हो सके।
दुःख दरिद्र दहन स्तोत्र का पाठ:
दुःखदरिद्रदहनं त्वं त्रैलोक्ये तिमिरापहम्। कारुण्यारससिंधोश्च श्रीशैलनाथ मामजम्।।
स्तोत्र का विश्लेषण:
यह स्तोत्र ‘दुःख दरिद्र दहनं’ शब्दों से युक्त है, जिसका अर्थ है “दुःख और दरिद्रता का नाश करने वाला”। स्तोत्र का पाठ करने से पूरे त्रैलोक्य (तीनों लोक) में तमोगुण (अंधकार) का नाश होता है और व्यक्ति को कारुण्य और आनंद की अनुभूति होती है।
स्तोत्र के लाभ:
- दुःख नाश: स्तोत्र का पाठ करने से दुःखों का सीधा प्रभाव होता है, और व्यक्ति में सुख और शांति की अनुभूति होती है।
- दरिद्रता का नाश: यह स्तोत्र दरिद्रता को दूर करने में सहायक है और वित्तीय समृद्धि की प्राप्ति में मदद करता है।
- कारुण्य और आनंद: स्तोत्र का पाठ करने से साधक को कारुण्य और आनंद की अद्भुत अनुभूति होती है, जो उसे आत्मा के साथ जोड़ती है।
स्तोत्र का पाठ कैसे करें:
- साधक को पहले से ही ध्यान और पूजा की अच्छी प्रणाली में रहना चाहिए।
- स्तोत्र का पाठ प्रात:काल या सायंकाल में किया जा सकता है।
- स्तोत्र का प्रतिदिन नियमित रूप से पाठ करना चाहिए, एक स्थिर समय में।
- स्तोत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि व्यक्ति को इसे श्रद्धापूर्वक और समर्पित रूप से पढ़ना चाहिए।
समाप्ति:
दुःख दरिद्र दहन स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को आत्मिक और आध्यात्मिक सुधार होता है, जिससे उसका मानव जीवन सफलता की ओर बढ़ता है। इस स्तोत्र को नियमित रूप से पढ़कर हम अपने जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक संरचना में सुधार सकते हैं और शांति और समृद्धि की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।