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5 months ago
देश भक्ति गीत | Desh Bhakti Geet PDF, Desh Bhakti Geet Lyrics In Hindi, प्रसिद्ध देश भक्ति गीत PDF, देश भक्ति गीत 2023 PDF Free Download
भारत 15 अगस्त को लगातार स्वायत्तता दिवस मनाता है। 2022 में उस दिन का प्रामाणिक महत्व होगा जब देश काफी समय के लिए अंग्रेजी राजसी शासन से मुक्त हो चुका होगा। पिछले 75 वर्षों में भारत की राह रणनीतिक और सामाजिक रूप से पूरी तरह साहसी रही है।
भारत ने प्रांतीय शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अनेक तपस्या की। आजादी की लड़ाई के साथ कई घटनाक्रम जुड़े थे, जिनमें से सभी को एक साथ लाने की उम्मीद थी ताकि उनकी आवाज पूरे ग्रह पर सुनी जा सके। यहां, जैसा कि भारत ने स्वायत्तता के 75 लंबे समय को पूरा किया है, हम भारतीय सार्वजनिक विकास और इसके अनुभवों के सेट में कुछ महत्वपूर्ण चौराहों का सम्मान करते हैं।
इंडियन पब्लिक कांग्रेस (इंक) की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को बॉम्बे में गोकुलदास तेजपाल संस्कृत स्कूल के मैदान में हुई थी। यह 72 प्रतिनिधियों द्वारा जीता गया था, और डब्ल्यू.सी. बनर्जी सभा के प्रशासक के रूप में भरे गए।
ए.ओ. ह्यूम इंक, जिसने अंग्रेजी सरकार को कल्याण वाल्व देने की योजना बनाई। कांग्रेस के सबसे यादगार महासचिव ए.ओ. थे। ह्यूम। कांग्रेस का वास्तविक कारण देश में सामान्य मूल्यांकन को छाँटना या आकार देना और भारत के युवाओं को राजनीतिक सक्रियता के बारे में सिखाना है। वे एक वार्षिक बैठक आयोजित करके ऐसा करते हैं जब वे इस मुद्दे पर बहस करते हैं और एक लक्ष्य को गले लगाते हैं।
भारतीय देशभक्ति की प्रारंभिक या शुरुआती अवधि को अन्यथा “केंद्रीय चरण” (1885-1905) कहा जाता है। स्वागत हे। बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले, आर.सी. दत्त, फिरोजशाह मेहता, जॉर्ज यूल और अन्य उदारवादी अग्रणी थे। विनम्र व्यक्ति विरोध, प्रार्थना और अनुरोध की पीपीपी प्रणाली को चुनते हैं क्योंकि उन्हें अंग्रेजी सरकार पर पूरा भरोसा है।
1892 के बाद रूढ़िवादियों की कार्यप्रणाली से निराशा के कारण कांग्रेस में कट्टरतावाद उभरने लगा। लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र बडी और अरबिंदो घोष कट्टरपंथियों के प्रमुख थे। वे पीपीपी पाठ्यक्रम की तुलना में देशी, स्वतंत्रता और कल्पनाशील कार्य पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। स्वदेशी और ब्लैकलिस्ट लक्ष्य 1905 में पारित किया गया था, उसी वर्ष मास्टर कर्जन ने बंगाल के पार्सल को प्रबंधकीय सुविधा के रूप में घोषित किया।
प्लासी की झड़प में अपनी जीत के बाद, अंग्रेजों ने 1757 में भारत पर अपनी बेजोड़ गुणवत्ता का प्रदर्शन किया, जब अंग्रेजी ईस्ट इंडिया ऑर्गनाइजेशन ने वहां कब्जा कर लिया। 1857-1858 के भारतीय विद्रोह के बाद, ईस्ट इंडिया ऑर्गनाइजेशन ने 100 वर्षों तक भारत पर शासन किया, जब तक कि प्रत्यक्ष अंग्रेजी शक्ति द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया गया, कभी-कभी अंग्रेजी राज के रूप में जाना जाता था।
मोहनदास के। गांधी ने विकास के प्रमुख के रूप में भर दिया और अंग्रेजी शासन के एक शांत, शांतिपूर्ण अंत के लिए जोर दिया। WWI के दौरान भारतीय स्वायत्तता की लड़ाई शुरू हुई।
भारत स्वायत्तता दिवस को व्यायाम, बैनर उठाने की प्रथा और सार्वजनिक भजन के गायन के साथ मनाता है। इसके अलावा, राज्य की राजधानियाँ विभिन्न सामाजिक अभ्यासों की पेशकश करती हैं। पुरानी दिल्ली में रेड पोस्ट के उल्लेखनीय स्थल पर बैनर उठाने की सेवा में राज्य के प्रमुख के समर्थन के बाद सेना और पुलिस के संकाय का मार्च।
राज्य प्रमुख तब कठिनाइयों और इच्छाओं को चित्रित करते हुए पिछले वर्ष से भारत की असाधारण जीत से संबंधित देश के लिए एक प्रसारण भाषण देता है। स्वतंत्रता दिवस के दौरान पतंगबाजी को एक अभ्यास के रूप में भी देखा जाने लगा है, जिसमें सभी आकार, आकार और किस्मों की पतंगें आकाश को बढ़ाती हैं।
इसके अलावा, इस तथ्य के बावजूद कि वे उत्सव के लिए बंद हैं, नई दिल्ली की प्रशासन संरचनाएं इस घटना का सम्मान करने के लिए अपनी रोशनी चालू रखती हैं।
फिल्म -: कर्मा
संगीतकार -: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकार -: आनंद बक्शी
गायक -: कविता कृष्णमूर्ति, मोहम्मद अजीज
मेरा कर्मा तू, मेरा धर्मा तू
तेरा सब कुछ मैं, मेरा सब कुछ तू
हर करम अपना करेंगे
हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
तू मेरा कर्मा, तू मेरा धर्मा, तू मेरा अभिमान है
ऐ वतन मेहबूब मेरे तुझपे दिल कुर्बान है
ऐ वतन मेहबूब मेरे तुझपे दिल कुर्बान है
हम जिएंगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, हमवतन हमनाम है
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, हमवतन हमनाम है
जो करे इनको जुदा मजहब नहीं इल्ज़ाम है
हम जिएंगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
तेरी गलियों में चलाकर नफरतों की गोलियां
लूटते हैं कुछ लुटेरे दुल्हनों की डोलियाँ
लूटते हैं कुछ लुटेरे दुल्हनों की डोलियाँ
लूट रहे है आप वो अपने घरों को लूटकर
लूट रहे है आप वो अपने घरों को लूटकर
खेलते हैं बेख़बर अपने लहू से होलियां
हम जिएंगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है, जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
ऐ वतन तेरे लिए
ऐ वतन तेरे लिए
फिल्म -: हकीकत
संगीतकार -: मदन मोहन
गीतकार -: कैफ़ी आज़मी
गायक -: मोहम्मद रफ़ी
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
ज़िन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनों को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
राह कुर्बानियों की ना वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
ज़िन्दगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
खेंच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाये ना रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाये ना सीता का दामन कोई
राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
संगीतकार -: सी. रामचंद्र
गीतकार -: कवि प्रदीप
गायक -: लता मंगेशकर
ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सबका, लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर, वीरों ने है प्राण गंवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो, कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आये, जो लौट के घर न आये
ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी
ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी
जब घायल हुआ हिमालय, ख़तरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लडे वो
जब तक थी साँस लडे वो, फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा, सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी
जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने, थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी
कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मद्रासी, कोई गुरखा कोई मद्रासी
सरहद पर मरने वाला, सरहद पर मरने वाला
हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर, वो खून था हिन्दुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी
थी खून से लथपथ काया, फिर भी बंदूक उठाके
दस दस को एक ने मारा, फिर गिर गये होश गँवा के
जब अंत समय आया तो,
जब अंत समय आया तो कह गये के अब मरते हैं
जब अंत समय आया तो कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों, खुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफ़र करते हैं, अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी
तुम भूल ना जाओ उनको इसलिए कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी
जय हिंद, जय हिंद की सेना
जय हिंद, जय हिंद की सेना
जय हिंद जय हिंद जय हिंद
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