He Hans Vahini Gyan Dayini

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भारतीय साहित्य और संस्कृति में, संत तुलसीदास द्वारा रचित हे हंस वहिनी, ज्ञान दायिनी का यह श्लोक एक अद्वितीय ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ से लिया गया है। यह श्लोक देवी सरस्वती की स्तुति करता है और भक्तों को ज्ञान, विद्या, और साक्षात्कार की दिशा में प्रेरित करता है। इस लेख में, हम इस श्लोक के अर्थ, महत्व, और श्रद्धांजलि के रूप में इसके विचार करेंगे।

He Hans Vahini Gyan Dayini Lyrics In Hindi

हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे,
अम्ब विमल मति दे ||
जग सिरमौर बनाएँ भारत,
वह बल विक्रम दे,
वह बल विक्रम दे॥

हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे,
अम्ब विमल मति दे ||

साहस शील हृदय में भर दे,
जीवन त्याग-तपोमर कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे ||
स्वाभिमान भर दे,
स्वाभिमान भर दे ||

हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे,
अम्ब विमल मति दे ||

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लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम
मानवता का त्रास हरें हम,
सीता, सावित्री, दुर्गा मां |
फिर घर-घर भर दे,
फिर घर-घर भर दे ||

हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे,
अम्ब विमल मति दे ||

“हे हंस वहिनी, ज्ञान दायिनी” श्लोक का विश्लेषण:

  1. हंस वहिनी: शब्द “हंस वहिनी” देवी सरस्वती के एक रूप को दर्शाता है जो हंसों के साथ जुड़ी हुई हैं। हंस भगवान के वाहन के रूप में प्रसिद्ध हैं, और इसलिए इस शब्द का उपयोग उनके साकार रूप की स्तुति के लिए हो रहा है। हंस का चयन शुद्धता और सरलता का प्रतीक है, जो देवी सरस्वती की विशेषताएँ हैं।
  2. ज्ञानदात्री: देवी सरस्वती को “ज्ञानदात्री” कहा गया है, जो ज्ञान का दान करने वाली हैं। वह भक्तों को आचार्य बनाती हैं और उन्हें साक्षात्कार की दिशा में प्रेरित करती हैं। इस रूप में, वह अज्ञानता को दूर करती है और जीवन को अध्ययन, विचार, और ज्ञान के माध्यम से समृद्धि की दिशा में प्रेरित करती है।
  3. मोहिनी: इस श्लोक में देवी सरस्वती को “मोहिनी” भी कहा गया है, जिससे भाग्यशाली भक्तों को अपने चरणों में आकर्षित करती हैं। इसका अर्थ है कि देवी सरस्वती का चित्रण इतना मोहक है कि भक्त उनकी ओर आकर्षित होकर उनसे ज्ञान का अनुभव करना चाहते हैं।
  4. मोहयन्ती, य सर्वां विशेषेण: श्लोक में कहा गया है कि देवी सरस्वती विशेष रूप से सभी को मोहित करके अपने चरणों में ले आती हैं। उनकी अद्वितीय सुंदरता, कला, और साक्षात्कार में विशेषता से भक्तों को प्रभावित करती हैं और उन्हें ज्ञान की ओर आकर्षित करती हैं।
  5. नान्यथा विचार्यते: श्लोक का समापन होता है जिसमें यह कहा गया है कि दूसरे किसी भी रूप में इसे विचारना असंभव है। देवी सरस्वती का यह रूप अद्वितीय है और उसे दूसरे किसी भी साधना में नहीं पाया जा सकता है।

हे हंस वहिनी, ज्ञानदात्री श्लोक का महत्व:

  1. ज्ञान की प्राप्ति: इस श्लोक से हमें यह सिखने को मिलता है कि ज्ञान की प्राप्ति के लिए हमें देवी सरस्वती का आशीर्वाद चाहिए। वह हमें आचार्य बनाती हैं और हमें उच्चतम ज्ञान की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं।
  2. साक्षात्कार की प्राप्ति: देवी सरस्वती को “मोहिनी” कहा गया है, जो भक्तों को आकर्षित करके उन्हें साक्षात्कार की दिशा में प्रेरित करती हैं। यह श्लोक हमें यह बताता है कि ज्ञान का अनुभव करने के लिए हमें सरस्वती की शरण में जाना चाहिए।
  3. मोह का नाश: देवी सरस्वती के रूप में भक्तों को ज्ञान में मोहित करके, उन्हें संसार के मोह से मुक्ति प्रदान करने में सहारा मिलता है। इस श्लोक के माध्यम से हम अपने अंतरंग मोहों को नष्ट करके ज्ञान की प्राप्ति का प्रयास कर सकते हैं।
  4. आत्म-परिचय: इस श्लोक के माध्यम से हम अपनी आत्मा की पहचान करते हैं और ज्ञान के माध्यम से अपनी असली स्वरूप को समझते हैं। यह श्लोक हमें अपने सत्य की प्राप्ति के लिए साधना करने का प्रेरणा देता है।
  5. अद्वितीयता की महत्वपूर्णता: श्लोक में यह भी कहा गया है कि देवी सरस्वती का यह रूप अद्वितीय है और उसे किसी भी अन्य रूप में नहीं विचारा जा सकता है। इससे हमें अद्वितीयता की महत्वपूर्णता समझाई जाती है, जिससे हम आत्मा की अद्वितीयता में लीन होकर ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं।

समाप्ति:

हे हंस वहिनी, ज्ञानदात्री श्लोक द्वारा हम भगवान सरस्वती की महिमा का गान करते हैं और उनकी शरण में जाकर ज्ञान की प्राप्ति का प्रयास करते हैं। इस श्लोक से हमें यह सिखने को मिलता है कि भगवान सरस्वती हमें अपने प्रकाश से ज्ञान, विद्या, और साक्षात्कार की प्राप्ति के मार्ग पर मार्गदर्शन करती हैं। हम इस श्लोक के माध्यम से भगवान सरस्वती की पूजा करते हैं और उन्हें अपने जीवन को आर्थिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्धि प्रदान करने में सहारा मानते हैं। इस अद्भुत श्लोक के माध्यम से हम अपने जीवन में ज्ञान की राह में प्रगट होने के लिए प्रार्थना करते हैं और उनके आशीर्वाद से सदा उज्जवल रहने की कामना करते हैं।

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